जानिये कारपेट और सुपर बिल्ट अप एरिया में क्या अंतर होता है | Carpet vs built up area vs Super built up area in building
फ्लैट खरीदते समय कारपेट एरिया, बिल्ट-अप और सुपर बिल्ट अप एरिया आदि जैसे शब्द आपको कन्फ्यूजन में डाल सकतें हैं। ये सब सुनने में एक जैसे लगते है लेकिन इनमें बहुत बड़ा फर्क होता है। अगर आपको इन शब्दों का मतलब नहीं मालूम तो प्रॉपर्टी डीलर/बिल्डर आपको बेवकूफ भी बना सकतें है।
यहाँ इन सभी शब्दजाल की व्याख्या आसान भाषा में किया गया है आपके लिये।
कारपेट एरिया क्या होता है. (What is carpet area)
जैसा कि नाम से पता चलता है, कारपेट एरिया का मतलब फ्लैट के अन्दर वैसे जगह से है जो कारपेट (कालीन/दरी) बिछाने के लिए इस्तेमाल किया जा सके। दुसरे शब्दों में कहें तो ये फ्लैट के दीवारों की मोटाई को छोड़कर अंदरूनी एरिया होता है।
यही घर में उपयोग होने वाला असली जगह होता है जिसमे बेडरूम, लिविंग रूम, हॉल, किचन, बाथरूम, स्टोर रूम आते है। इसमें बालकनी, लॉबी, छत, लिफ्ट या सीढ़ियों का जगह शामिल नहीं होता।
कारपेट एरिया कैसे कैलकुलेट करें (Carpet area calculation) :
कारपेट एरिया निकालने के लिए फ्लैट के कुल (बिल्ट-अप) एरिया में से दीवार की मोटाई और बालकनी के क्षेत्र को घटाना पड़ता है। आमतौर पर कारपेट एरिया बिल्ट-अप एरिया का 70% होता है। उदाहरण के लिए, अगर एक फ्लैट का बिल्ट-अप एरिया 1000 स्क्वायर फुट है तो उसमें दीवार और बालकनी का जगह घटने पर, कारपेट एरिया 700 स्क्वायर फुट होगा।
फार्मूला:
कारपेट एरिया = बिल्ट-अप एरिया - दीवारों और बालकनी से कवर एरिया।
बिल्ट-अप एरिया क्या होता है. (What is build-up area)
बिल्ट-अप एरिया = कारपेट एरिया + दीवारों और बालकनी से कवर एरिया।
इसमें बेडरूम, लिविंग रूम, हॉल, किचन, बाथरूम के अलावे अंदरुनी दिवार, बरामदा, बालकनी आदि शामिल होते हैं।
सुपर बिल्ट-अप एरिया क्या होता है. (What is super built up area)
सुपर बिल्ट-अप एरिया = बिल्ट-अप एरिया + कॉमन एरिया (कॉरिडोर, लॉबी, लिफ्ट, सीढ़ि या सिक्योरिटी रूम आदि)।
इसमें रूम और बालकनी के अलावे एंट्रेंस लॉबी, लिफ्ट या सीढ़ि, कॉरिडोर, सिक्योरिटी रूम जैसे सामूहिक जगह शामिल होते हैं। बिल्डर्स और प्रॉपर्टी डीलर्स आमतौर पर सुपर बिल्ट-अप एरिया के आधार पर ही घर की कीमत वसूल करना चाहते हैं।
Note : रेरा (RERA) के लागू होने के बाद, कारपेट एरिया की परिभाषा में कई बदलाव हुए हैं। इससे पहले, बरामदे और बालकनियों, दीवार की मोटाई, गार्डन क्षेत्र को भी कारपेट एरिया के अंतर्गत शामिल किया जाता था। इस कानून ने कारपेट एरिया के आधार पर बिल्डरों को अपार्टमेंट के आकार का खुलासा करना अनिवार्य किया है।
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