Soil testing methods in hindi | मिट्टी की जाँच मकान बनाने के लिए

जानिये, घर बनाने के लिए मिट्टी की जाँच कैसे होती है (Soil testing for construction in hindi).


मिट्टी जाँच (Soil test) किसी भी कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट में पहला कदम है, यह सुनिश्चित करने के लिए कि क्या जमीन किसी भी संरचना के निर्माण के लिए उपयुक्त है या नहीं।

मिट्टी के टेस्ट से पता चलता है कि मिट्टी के 'भौतिक और इंजीनियरिंग गुण' क्या हैं, जो निर्माण के लिए उपयुक्त नींव के प्रकार को निर्धारित करने में मदद करते हैं।

soil testing for construction in hindi


मिट्टी की वहन क्षमता (Bearing capacity), नमी की मात्रा (Moisture content), घनत्व (Density) और पारगम्यता (Permeability) आदि को जानने के बाद नींव और भूकंप-रोधी संरचना का डिज़ाइन किया जाता है।


मकान के नींव के लिए मिट्टी जाँच (Soil Testing in Foundation)

नींव या फाउंडेशन, निर्माण का पहला और महत्वपूर्ण कदम है। एक छोटी सी खराबी या क्षति पूरे भवन को विफल या ध्वस्त कर सकती है। मिट्टी की जाँच और विश्लेषण से इसका 'सेटलमेंट और बेअरिंग कैपेसिटी' का पता चलता है, जो नींव के प्रकार और खंभे (Pillars) की लंबाई और गहराई को परिभाषित करने में भी मदद करते हैं।

वहन क्षमता (Bearing capacity)

मिट्टी में भवन के भार को झेलने की क्षमता होनी चाहिए। उस अधिकतम भार प्रति यूनिट एरिया को, जिसे मिट्टी बिना विस्थापित या ब्रेक हुये बोझ सह सके, मिट्टी की 'बिअरिंग कैपेसिटी' कहते है। इसे KN/m2या Ton/Sq.ft से डीनोट करते है।

यदि जमीन के उपरी स्तर से 5 फीट निचे की गहराई (उथले गहराई) पर मिट्टी की क्षमता मकान के भार को सुरक्षित रूप से लेने के लिए पर्याप्त है, तो आइसोलेटेड फुटिंग, कंबाइंड फुटिंग या स्ट्रिप फुटिंग जैसे उथले नींव (Shallow foundations) बनाये जाते हैं। 

जब संरचना के नीचे की मिट्टी में पर्याप्त क्षमता नहीं होती यानि की बिअरिंग कैपेसिटी कम होती है तब गहरी नींव (Deep foundations) प्रदान की जाती है, जैसे- Pile, Piers, Well और Raft foundation.


विभिन्न प्रकार की मिट्टी के अधिकतम ‘Bearing capacity’ :

Safe Bearing capacity of soil in hindi




मिट्टी जाँच की विभिन्न विधि (Soil testing methods) :

  • Presumptive Analysis
  • Plate Bearing Test
  • Penetration Test
  • Modern Testing Methods
  • Centrifuge Test


इतने सारे विधियों से मिट्टी की क्षमता पता की जा सकती है। इनमें से, ड्रॉप वेट टेस्ट सबसे आसान और विश्वसनीय परीक्षण है।


ड्रॉप वेट टेस्ट (Drop weight method) :

  1. सबसे पहले 5 फीट गहराई के एक गड्ढे को खुदाई करें।
  2. ज्ञात वजन और लम्बाई-चौड़ाई का एक स्क्वायर क्यूब लें।
  3. अब एक ज्ञात ऊंचाई से गड्ढे पर क्यूब को गिराएं।
  4. स्केल का उपयोग करके क्यूब से गड्ढे पर बनी छाप को मापें।


उदाहरण के लिये :

स्क्वायर क्यूब का वजन (w) = 0.5 Kg, 

गिरावट की ऊंचाई (h) = 120 सेमी.

छाप की गहराई (d) = 0.6 सेमी;

क्रॉस सेक्शन एरिया (A) = 16 स्क्वा. सेमी.

सुरक्षा का कारक (FOS) = 1.5


अल्टीमेट बिअरिंग कैपेसिटी (R) = (w x h) / d = (0.5 x 120) / 0.6 = 100 Kg

सेफ बिअरिंग कैपेसिटी (SBC) = 100 / (16 x 1.5) = 4.16 Kg / cm2 = 3.8 टन / स्क्वा. मीटर 


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